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बै कैवण में
सग्गा तो अवस कहिजै
पण जाबक ई नीं समझै
सग्गै तो संकट !
छुछक, भात,
ओढावणी अर दायजो
लेंवती बेळा
कदै ई नीं सोचै
कै सग्गो
कळीज तो नीं गयो
करज रै कादै !