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"राम-नाम-रस पीजै / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

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22:27, 1 जून 2007 का अवतरण

रचनाकार:मीराबाई

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राम-नाम-रस पीजै।

मनवा! राम-नाम-रस पीजै।

तजि कुसंग सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै।

काम क्रोध मद मोह लोभ कूं, चित से बाहय दीजै।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ता के रंग में भीजै।