Last modified on 22 फ़रवरी 2010, at 05:02

कातिक का पयान / त्रिलोचन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:02, 22 फ़रवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कातिक पयान करने को है, उठाया है
दाहिना चरण, देहरी को लाँघ आया है,
लेकिन अँगूठा अभी भूमि से लगा नहीं,
ऊपर ही ऊपर है, जैसे जगा नहीं ।