Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 11:55

झरै है सुर... : दोय / राजेश कुमार व्यास

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:55, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राग मधुवंती नै सुणती बैळा

सागर खावै छोळा
एक लहर
दूजी...तीजी...चौथी...
अर
आगै सूं आगै लहर
सागर खावै छोळा
चोखी लागै
आवती अर
जावती लहर्या
हरैक लहर
भरै मांय रो खालीपण
मांय घिर्यौड़े अंधारै
रै सामीं
जगावै दिवळा
अर
करै है घणकरो उजास।