Last modified on 2 जुलाई 2011, at 19:07

वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:07, 2 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
फिर भी कभी किसीके सँवारे हुए हैं हम

आशा की हर किरण को अँधेरों ने ढँक लिया
किन बेरहम घटाओं के मारे हुए हैं हम!

आता नहीं है भूलके कोई भी अब इधर
हर प्यार की नज़र से उतारे हुए हैं हम

अटकी हुई है आके पुतलियों में अब ये जान
आओ की अब तो भोर के तारे हुए हैं हम

गालों पे है गुलाब के, दिल के लहू का रंग
काँटों से ज़िन्दगी के निखारे हुए हैं हम