Last modified on 7 जुलाई 2013, at 13:25

भजो रे भैया राम गोविंद हरी / कबीर

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:25, 7 जुलाई 2013 का अवतरण

भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥

जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥