Last modified on 26 मई 2014, at 10:29

अँधेरा / पुष्पिता

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:29, 26 मई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उजाला
बोलता है चुपचाप
शब्द
जिसको दिखना-दिखाना है।

उजाला
खोलता है चुपचाप
रहस्य
जो उसके विरुद्ध हैं।

अद्भुत उजाला
निःशब्द मौन होता है
ईश्वरीय सृष्टि-शक्ति
उस मौन में बाँचती है
वेदों के सूक्त।

अँधेरा
बोलता है अँधेपन की भाषा
अपराध के जोखिम
डरावनी गूँज
सन्नाटे का शोर
भय के शब्द।

अँधेरा
बोलता है जीवन के मृत होने की
शून्य भाषा
कालिख के रहस्य
अँधेरे की आँखों में
मृत्यु के शब्द होते हैं
अँधेरे के ओठों में
चीख
अँधेरे की साँसों में
मृत्यु की डरावनी परछाईं।