कीजे न दस में बैठ कर आपस की बात चीत
पहुँचेगी दस हज़ार जगाह दस की बात चीत
कब तक रहें ख़मोश के ज़ाहिर से आप की
हम ने बहुत सुनी कस-ओ-नाकस की बात चीत
मुद्दत के बाद हज़रत-ए-नासेह करम किया
फ़र्माईये मिज़ाज-ए-मुक़द्दस की बात चीत
पर तर्क-ए-इश्क़ के लिये इज़हार कुछ न हो
मैं क्या करूँ नहीं ये मेरे बस की बात चीत
क्या याद् आ गया है "ज़फ़र" पन्जा-ए-निगार
कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की बात चीत