Last modified on 15 मई 2016, at 07:00

काका आरो बुतरू / अमरेन्द्र

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:00, 15 मई 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब ताँय घर में काका छै
मालिक बनलोॅ आका छै
घर में दिल्ली-ढाका छै
खूब कमैलेॅ टाका छै
बुतरू वास्तें फाका छै
खेलवे पर ही डाका छै
बच्है काँटोॅ-कूसोॅ रँ
डर सें बनलोॅ मूसोॅ रँ ।