Last modified on 26 अक्टूबर 2009, at 22:37

नाहिन भजिबे जोग बियो / तुलसीदास

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:37, 26 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नाहिन भजिबे जोग बियो।
श्रीरघुबीर समान आन को पूरन कृपा हियो॥
कहहु कौन सुर सिला तारि पुनि केवट मीत कियो ?।
कौने गीध अधमको पितु ज्यों निज कर पिण्ड दियो?॥
कौन देव सबरीके फल करि भोजन सलिल पियो?।
बालित्रास-बारिधि बूड़त कपि केहि गहि बाँह लियो?।
भजन प्रभाउ बिभीषन भाष्यौ सुनि कपि कटक जियो।
तुलसिदासको प्रभु कोसलपति सब प्रकार बरियो॥