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छिपा लो मुझे / रवीन्द्र दास

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लिपट जाओ ऐसे
जैसे लिपट जाती है लताएँ
पेड़ों से
छा जाओ मुझपर
जैसे छा जाता है मेघ आसमान पर
बना लो मुझे अपना
शरबत में मिठास की तरह
निचोड़ लो मेरा हर कतरा
नींबू की तरह
निगल जाओ मेरा वजूद
जैसे निगल लेती है मृत्यु
उकता गया हूँ
अपने आप से
छिपा लो मुझे कहीं भी
किसी भी तरह