Last modified on 20 जुलाई 2010, at 02:16

वह लड़की-एक / ओम पुरोहित ‘कागद’

सामने के झौंपड़े में
रहने वाली
वह लड़की
अब
सपने नहीं देखती।
वह जानती है
कि, सपनों में भी
पुरूष की सत्ता
आ टपकती है
और कभी भी
उसके अबला होने का
लाभ उठा सकती है।
वह
यह भी जानती है
कि, सपना हो या यथार्थ
पुरूष की मांग पूरे बिना
उसकी मागं
कभी भी भरी नहीं जा सकती।
इसी लिए
अब वह
झौंपड़े में
निपट अकेली
यथार्थ को भोगती है
और सपने टालती हैं।