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कमतरियो / कन्हैया लाल सेठिया

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कांईं हुवै
दुख्यां डील ?
मत हुवो
भलांईं सरधा
पण लागै है तनैं
हाल
तिस‘र भूख,
पड़सी ल्याणो
ऊंच‘र खांधै पाणी
करणी हुसी
दयानगी दाणां ताणी,
कठै है
थारै कनै
बैठ‘र खावण नै पईसा ?
जे तू जाणतो
करणी हथफेरी
कतरणी जेब
का हूंती कोई
ऊपरली कमाई
तो निभ ज्यातो
थारो पैलपणो
पण कोनी थारै में
कोई कुटेव
आ ही एक
पड़सी भोगणी
नेक नीत री सजा,
कांईं हुसी
तक्यां आसंगा
उठ‘र चासलै
कान में टांग्योड़ी
अधबली बीड़ी
खेंच‘र लांबो कस
पलेट लै
लीरा लीरा रमालियो
ऊभज्या जा‘र
गांव री चोपड़ में
कमतरियां रै भेलो,
देख‘र आतै
कमठै रै मौटै ठेकैदार नै
जा‘र आघो
करीजे
राम रमी
जणां पड़सी
बीं री
नसै में धुत निजर
थारै पर !