भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चूक / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:39, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोड़‘र
राम रमै जिस्यो
आप रो झूंपो
करण लागगी
जकै दिन स्यूं
भोली साच
जामण जाई बैन
झूठ रै
राजमै‘ल में जापा
रूसगी बेमाता
कोनी आई लिखण नै लेख,
खावै जद स्यूं ही
भचभेड़ी
बाळली भूख स्यूं
साच री
निरभागी टाबरी !