Last modified on 21 जनवरी 2011, at 17:51

निरंतर बना रहेगा / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:51, 21 जनवरी 2011 का अवतरण ("निरंतर बना रहेगा / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

निरंतर बना रहेगा
जीवंत और विकासमान
ऐतिहासिक
द्वन्द्वात्मक
भौतिकवाद।
नासमझ हैं वे
जो समझते हैं इसे मरा हुआ
कुटिल काल से कवलित हुआ।
यही है, यही है
महान मानवीय मूल्यों का
परम वैज्ञानिक बोध का बोधक
चिरंतन और चिरायु चेतना से
सृष्टि का शोधक।
शेष जो वाद-ही-वाद हैं-
जैसे आत्मवाद
परमात्मवाद, अध्यात्मवाद,
और भी कई-कई वाद-
निरर्थक हो चुके हैं सब
महान मानवीय मूल्यों के लिए,
सभ्य और सांस्कृतिक
विकास के लिए
विश्वबंधुत्व के लिए।

रचनाकाल: ०४-१०-१९९०