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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 15
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ऋतु-पति आए भलो बन्यो बन समाज | मानो भए हैं मदन महाराज आज ||
मनो प्रथम फागु मिस करि अनीति | होरीमिस अरि पुर जारि जीति |
मारुत मिस पत्र-प्रजा उजारि | नयनगर बसाए बिपिन झारि ||
सिंहासन सैल-सिला सुरङ्ग | कानन-छबि रति, परिजन कुरङ्ग |
सित छत्र सुमन, बल्ली बितान | चामर समीर, निरझर निसान ||
मनो मधु-माधव दोउ अनिप धीर | बर बिपुल बिटप बानैत बीर |
मधुकर-सुक-कोकिलबन्दि-बृन्द | बरनहिं बिसुद्ध जस बिबिध छन्द ||
महि परत सुमन-रस फल पराग | जनु देत इतर नृप कर-बिभाग |
कलि सचिव सहित नय-निपुन मार | कियो बिस्व बिबस चारिहु प्रकार ||
बिरहिनपर नित नै परै मारि | डाँड़ियत सिद्ध-साधक प्रचारि |
तिनकी न काम सकै चापि छाँह | तुलसी जे बसहिं रघुबीर-बाँह ||