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कुम्हार का गीत / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- अंबर दो फाँक-
आधे में हंस उड़े, आधे में काक!
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- धरती दो फाँक-
आधी में नीम फले, आधी में दाख!
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- दुनिया दो फाँक-
आधी में चाँदी है, आधी में राख!
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- जीवन दो फाँक-
आधे में रोदन है, आधे में राग!
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- बाज़ी दो फाँक,
- ख़ूब सँभल आँक-
जुस है किस मुट्ठी, ताक?
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!
- चाक चले चाक!...