भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जुग धरम / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:35, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीखग्या
ल्याळी
खाजरू री
बोली,
कोनी करणी पड़ै
अबै भख सारू
घणी
भाग दौड़
आ ज्यासी
मतै ही
चाल‘र
मांद में
भेडां भोळी !