भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं शांत था / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:25, 1 जनवरी 2009 का अवतरण
मैं शांत था
सब बोल रहे थे
चिड़ियाँ पेड़ आसमान
घर सड़कें ।
मैं शांत था ।