भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आग में / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:51, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण (आग में / साँवर दइया का नाम बदलकर आग में / सांवर दइया कर दिया गया है)
आकाश में
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं
हवाई जहाज़-हैलीकॉप्टर
आग में ओटी हुई बाटी
उथलना भूल जाती हैं
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें
धमाके.... धमाके.... धमाके...
अब बाटी उथलने से क्या होगा ?
अब तो
सब कुछ आग में ही है !
अनुवाद : मोहन आलोक