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धान के खेत / स्वप्निल श्रीवास्तव
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वर्षा में भींगते हैं
धान के खेत
हरे रंग की साड़ी में भींगती है युवती
युवती के मन के भीतर
युवा हो रहा है हरापन
धान के खेत में हवाओं की तरह
टहल रहे हैं बादल
वर्षा का जल मेंड़ से ऊपर होकर बहता है
धान की फ़सल देखकर
गाँव-गिराँव खेत-खलिहान
बड़े-बूढ़े, बच्चे प्रसन्न हैं
धान के खेत पर महाजन की दृष्टि है
महाजन क्या फ़सल को अपने खलिहान में ले जाएगा?
यह सोचकर उदास हो जाते हैं धान के खेत