भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कलम / राजेन्द्र जोशी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:00, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोग पूजा करते हैं
मूर्तियों की
देवताओं की
मकबरों की
नहीं , हम तो , कलम की पूजा करते हैं !
कौनसी कलम ?
जिसमें स्याही हो
रिफिल हो
जो हमें ऊंचा चढ़ावें
प्रमोशन दिलवावें
किसी संस्था का पदाधिकारी बनवा दें
अखबार में नाम छपवा दें
जिसमें ऐसी ताकत हो
हम तो उसी कलम की पूजा करते हैं !