भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राजेश जोशी के लिए / राजा खुगशाल
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:51, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण
चिट्ठियों से धारण किए--
धैर्य के समेत
वक़्त ने फिर छिलके
उतार दिए
इतना प्यार
और इतनी घृणा
एक साथ जीने के लिए
कहाँ तक और
कितना धैर्य चाहिए--
मुनीर मियाँ !