भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक मनस्थिति का चित्र / दुष्यंत कुमार
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:58, 30 नवम्बर 2011 का अवतरण ("एक मनस्थिति का चित्र / दुष्यंत कुमार" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (बेमियादी) [move=sysop] (बेमियादी)))
मानसरोवर की
गहराइयों में बैठे
हंसों ने पाँखें दीं खोल
शांत, मूक अंबर में
हलचल मच गई
गूँज उठे त्रस्त विविध-बोल
शीष टिका हाथों पर
आँख झपीं, शंका से
बोधहीन हृदय उठा डोल।