भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम मान्दोरिया / ठाकुरप्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:37, 20 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम मान्दोरिया
हम नाचोनिया

मादर ना बजा
रसीला मादर न बजा

बाप खड़े
माँ खड़ी
खिड़की का पल्ला धरे
खड़ा है पिया

हम नाचोनिया
मादर ना बजा