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पेड़ निपाती (चोका) / सरस्वती माथुर

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पतझर में
उदास पुरवाई
 पेड़ निपाती
 उदास अकेला -सा ।
 सूखे पत्ते भी
 सरसराते उड़े
 बिना परिन्दे
 ठूँठ -सा पेड़ खड़ा
 धूप छानता
 किरणों से नहाता
  भीगी शाम में
 चाँदनी ओढ़कर
 चाँद देखता
 सन्नाटे से खेलता
 विश्वास लिये-
 हरियाली के संग
 पत्ते फिर फूटेंगे ।