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गंदी तस्वीर / कंस्तांतिन कवाफ़ी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:57, 20 जून 2012 का अवतरण
वहाँ सड़क पर पड़ी हुई, उस बेहद गंदी तस्वीर में
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही है वो
कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया
कितना मुश्किल, कितना गंदा, गरल कैसा तुमने पिया
किस हालत में, क्योंकर तुमने, यह गंदी तस्वीर खिंचाई
इतने ख़ूबसूरत तन में क्योंकर वह घटिया रूह समाई
लेकिन इतना होने पर भी स्वप्न-सुन्दरी तू बन गई मेरी
तेरी सुन्दरता, तेरी उज्ज्वलता, करते मेरे मन की फेरी
याद तुझे कर-कर हरजाई, सुख पाता हूँ मैं यूनानी
पता नहीं कैसे बोलेगी, तुझसे मेरी कविता दीवानी
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय