Last modified on 7 जुलाई 2013, at 13:17

मोको कहां / कबीर

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:17, 7 जुलाई 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।


ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।

नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥


ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।

ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥


खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे

मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे


कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥