Last modified on 30 अगस्त 2012, at 20:30

अयि सघन वन कुन्तले / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 30 अगस्त 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


अयि सघन वन कुन्तले
किससे मिलने यूँ सजधज कर उतरी व्योम तले?

धूप छाँह की साड़ी पहने
कानों में हीरे के गहने
किसके साथ रात भर रहने
आई सांझ ढले?

रिमझिम रिमझिम बजते नुपुर
लिपट रहे कम्पित उर से उर
रोम-रोम से रस के आतुर
निर्झर फूट चले

अयि सघन वन कुन्तले
किससे मिलने यूँ सजधज कर उतरी व्योम तले?