भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक रात में / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:34, 26 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक रात में कवि

कितनी कविताएँ लिख सकता है


एक रात में कवि

कितनी बातें सोच सकता है


एक रात में कवि

कितने गाँवों, कितने शहरों, कितने देशों, कितनी दुनियाओं

के चक्कर लगा सकता है


एक रात में कवि

किन-किन लोगों को किस-किस तरह के पत्र लिख सकता है


एक रात में कवि

किस-किस के विरूद्ध किस तरह लड़ सकता है


क्या-क्या कर सकता है कवि

एक रात में ?