Last modified on 12 दिसम्बर 2007, at 02:37

आज मैं अकेला हूँ / त्रिलोचन

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:37, 12 दिसम्बर 2007 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(1)


आज मैं अकेला हूँ

अकेले रहा नहीं जाता।


(2)


जीवन मिला है यह

रतन मिला है यह

धूल में

कि

फूल में

मिला है

तो

मिला है यह

मोल-तोल इसका

अकेले कहा नहीं जाता


(3)


सुख आये दुख आये

दिन आये रात आये

फूल में

कि

धूल में

आये

जैसे

जब आये

सुख दुख एक भी

अकेले सहा नहीं जाता


(4)


चरण हैं चलता हूँ

चलता हूँ चलता हूँ

फूल में

कि

धूल में

चलता

मन

चलता हूँ

ओखी धार दिन की

अकेले बहा नहीं जाता।