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उमाव / मीठेश निर्मोही
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भाख फाटतां ई नापण लागै आभौ भाजता ई भाजता जावै अछेह अपार ।
लेय दांणौ बावड़ै चीरतां अंधारौ ।
आपरै भाग नै चेत्यां देख फुदकण लागै माळौ । </poem>