भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माँ पर हाइकु / जेन्नी शबनम

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:25, 23 मई 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1.
तौल सके जो
नहीं कोई तराजू
माँ की ममता !
2.
समझ आई
जब खुद ने पाई
माँ की वेदना !
3.
माँ का दुलार
नहीं है कोई मोल
है अनमोल !
4.
असहाय माँ
कह न पाई व्यथा
कोख़ उजड़ी !
5.
जो लुट गई
लाड़ में मिट गई
वो होती है माँ !
6.
प्यारी बिटिया,
बन गई वो माँ-सी
पी-घर गई !
7.
पराई हुई
घर-आँगन सूना
माँ की बिटिया !
8.
सारा हुनर
माँ से बिटिया पाए
घर बसाए !
9.
माँ का अँचरा
सारे जहाँ का प्यार
घर संसार !
10.
माँ का कहना
कभी नहीं टालना
माँ होती दुआ !
11.
माँ की दुनिया
अँगना में बहार
घर-संसार !

(मई 8, 2011)