भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बत्तीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:48, 4 जुलाई 2014 का अवतरण
भाई है सबद
कै लुगाई है-
म्हारी
या जांटी है
हेली खांटी है
धोरै रो मिंदर है
या समंदर है
समझ नीं आई आ बात
के औ बारै है कै अंदर है।