भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल नहीं / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:29, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


फूल नहीं

रंग बोलते हैं
पंखुरियों से ।

समुद्र के अन्तस्तल के

नील, श्वेत
और गुलाबी

शंख बोलते हैं वल्लरियों से ।


फूल अखण्ड मौन हैं

रंग अमन्द नाद हैं ।

अखण्ड मौन,
अमन्द नाद,

एक ही वृन्त पर

प्रतिष्ठित

धैर्य और उन्माद हैं ।