भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुभाव / संजय आचार्य वरुण

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:59, 25 फ़रवरी 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

‘जलम देय’र
बडौ करणौ
अर फेर काट देवणौ
या किचरणौ
मिनख रौ
ओ ई सुभाव
उण ने बणावै
सै जीवां सूं अळगौ’

बाग री नान्ही दूब
रोवती, गरळांवती
इतरौ कैयौ ई’ज हौ के
अचाणचक
एक पग
उण रौ कचरौ काढ़
आगै बधग्यो
दूब बापड़ी
अबै नीं रैयी
रोवण जोगी भी।