Last modified on 17 मार्च 2008, at 09:39

समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय

Sumitkumar kataria (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 09:39, 17 मार्च 2008 का अवतरण (प्रूफ़रीड किया है)

समय क्षण-भर थमा सा:

फिर तोल डैने

उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर:

मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित।

तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा

फूट तारे ने कहा: रे समय,

तू क्या थक गया?

रात का संगीत फिर

तिरने लगा आकाश में।