भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन्तरिया मामा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 14 मई 2016 का अवतरण
अगड़म-बगड़म मामा दू
दिन भर मारै मन्तर-छू
मन्तर में छोहारा छै
दिन में सूझै तारा छै ।