Last modified on 17 जनवरी 2011, at 11:38

सामाजिकता का तकाजा है / हेमन्त शेष

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:38, 17 जनवरी 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सामाजिकता का तकाजा है
मेरी मानें तो अभी आप हजामत न बनाएँ
(अर्थी के साथ जाते हुए
तो कम से कम किसी को प्रफुल्लित और चाक-चौबन्द
नज़र नहीं आना चाहिए!)