Last modified on 17 मार्च 2017, at 16:27

गळगचिया (62) / कन्हैया लाल सेठिया

कुम्हार काचै घड़ै ने चाक स्यूँ उतार‘र न्यावड़े री उकळती भोभर में ल्या नाख्यों। घड़ो से‘र बोल्यो - बिधाता आ कांई करी ?