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गळगचिया (37) / कन्हैया लाल सेठिया
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पिणघट पराँ पड़ी ठीकरी पूछ्यो-घड़ा मनै ओळखै है के ?
बीच में ही पिणयारी अणख‘र बोली -पैली मूंडो छाणाऊँ रगड़‘र आ-अत्तै में ठोकर लागी‘र घड़ो फूटग्यो ठीकरी ठीकरयाँ स्यूं जा मिली।