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अपराध यही है / राहुल शिवाय

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मैं कहीं भी रहूँ, तू कहीं भी रहे
हर समय तुझको खुद में ही पाऊँगा मैं।
चाहे होगी खुशी या कोई गम ही हो
हर पलों में तुझे गुनगुनाऊँगा मैं।।

तू नहीं होगी जब, होगी यादें तेरी
चाहे होगी न पूरी ये ख़्वाहिश मेरी
मरते दम तक तुम्हीं को ही चाहूँगा मैं।
मैं कहीं भी रहूँ, तू कहीं भी रहे
हर समय तुझको खुद में ही पाऊँगा मैं।।

होगी आँखें ये नम, होगा दिल में भी गम
चाहे तू न कहे मुझको अपना सनम
फिर भी तुझको कभी न भुलाऊँगा मैं।
मैं कहीं भी रहूँ, तू कहीं भी रहे
हर समय तुझको खुद में ही पाऊँगा मैं।।

तू ही मंजिल मेरी, तू ही मेरी डगर
तेरे सँग मैं जिया दो पलों को मगर
दो पलों में ही जीवन बिताऊँगा मैं।
मैं कहीं भी रहूँ, तू कहीं भी रहे
हर समय तुझको खुद में ही पाऊँगा मैं।।