Last modified on 8 फ़रवरी 2019, at 12:32

समरूं तनै हमेश मैं, करिये बेड़ा पार भवानी री / राजेराम भारद्वाज

Sandeeap Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

                  (7)

काव्य विविधा (अनुक्रमांक-1)

समरूं तनै हमेश मैं, करिये बेड़ा पार भवानी री,
आज मनाई, दुर्गे माई री ।। टेक ।।

पार्वती बणकै तनै, शिवजी का निभाया साथ,
सागर मै तै प्रकट होई, नाम पड़या लक्ष्मी मात,
नारायण बरे थे तनै, दीनबंधु-दीनानाथ,
सावत्री-ब्रह्मभादवी, ब्रह्मा की ब्रहमाणी री,
शक्ति रूप-योगमाया, जगदम्बे कल्याणी री,
शम्भू मनु की बणी थी, शतरूपा राणी री,
जगजननी के भेष म्य, रच्या तनै संसार भवानी री ।।

त्रियारूप-त्रिनेता, त्रिशुल धारी माई री,
हाथ के म्हां भाला, शेर की सवारी माई री,
मंतगी-मंतग ऋषि थे, पुजारी माई री,
दक्ष कन्या रूद्राणी, गिरजा-गौरी माई री,
साध्वी-भयप्रिता सती, सत की डोरी माई री,
भद्राकाली-चण्डी कृष्णा, किशोरी माई री,
तेरी जोत रवि-राकेश मै, तूं शक्ति का औतार भवानी री ।।

बंबई मै मुम्बा देबी, पार्वती की अवतार,
कलकते मै काली माई, करने आली बेड़ा पार,
कश्मीर मै विष्णु देबी, मनशां देबी हरिद्वार,
चण्डी बणकै चकवेबैन की, खपाई फौज देबी,
वीर विक्रमाजीत छलिया, जैनी राजा भोज देबी,
अकबर शाह भी आया करता, नंगे पाया रोज देबी,
तेरी महिमा देश-विदेश मै, किसी होरी जय-जयकार भवानी री ।।

मानसिंह बतागे तेरे, एक-सौ-आठ नाम देबी,
लखमीचंद नै मान्या तेरा, सच्चा दूर्गे-धाम देबी,
दंगल मै मनाया करते, गुरू मांगेराम देबी,
रसना पै बास करों, सरस्वती मात ज्वाला,
किते भी ना पायी हामनै, टोहे सै मंदिर-शिवाला,
चौबीस घंटे ध्यावै तनै, राजेराम लुहारी आला,
रंगत ल्यावै ठेस मै, कली बणादी चार भवानी री ।।