Last modified on 27 जून 2019, at 23:56

दोबारा हमरा ऊ धरती पर न´ भेजऽ / सिलसिला / रणजीत दुधु

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 27 जून 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक बार यमदूत से गलती हो गेल
बचल अउरदावाला के ले के चल गेल।

जब खुलल एक राज,
बड़ी गोसयला यमराज

कहलका छोड़े पड़तो ई पद,
हो गेलउ शुरू उल्टी गिनती
तऽ जे गेल हल यहाँ से अदमी
ऊ कर जोड़ करे लगल मिनती

धरती पर अब तो साँस लेना है दुसकर
केकरा कहूँ अपना आउ केकरा दोसर
जे बड़ होल अंगुरी पकड़ कन्हा चढ़ के
ऊहे तो हे अखने यमदूतो से बढ़के
जेकरा पोसलूँ पाललूँ उहे देहे नय खाना,
अपने मेहरारू पल-पल देते रहे हे ताना,
अपने घर में बनके रहऽ ही नउकर,

एके दिन में कयबार जनमऽ ही मर-मर,
अगर सरग में नय जगह हो नरक में सहेजऽ
मगर दोबारा हमरा ऊ धरती पर न´ भेजऽ