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ज्ञानी / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
Pratishtha
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अपने अज्ञान- को देखना ही ज्ञानी होना है.
और
ज्ञान पूर्वक जीना ही
हर पल मुक्त होना है.