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युद्ध प्रसंग / राघव शुक्ल

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अब समुद्र पर सेतु बंधा है, लंका पर है हुई चढ़ाई
छिड़ी हुई घनघोर लड़ाई

टूट रहे वानर दानव पर
पीट रहे बातों बातों में
मसल रहे उनको चुटकी में
चबा रहे उनको दांतो में
सोच रही है दानव सेना, यह कैसी विपदा है आई

जामवंत हनुमंत नील नल
रण में तत्पर सभी खड़े हैं
अंगद अरु सुग्रीव वीरगण
सबने अद्भुत युद्ध लड़े हैं
राम सैन्य का देख पराक्रम, रावण की सेना घबराई

इक विशाल सेना लेकर के
सेनापति प्रहस्त है आया
भीषण युद्ध किया है उसने
किंतु पराजय का फल खाया
अब प्रहस्त वध से लंका में, आज शोक की बदली छाई