भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उन्हें एतराज है / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:03, 15 सितम्बर 2008 का अवतरण
वे कहते हैं
वसंत रुक क्यों नहीं जाता
उनके गमले में उगे पौधों पर
ठहर क्यों नहीं जाता
हमेशा के लिए पानी
गाँव के तालाब में
धरती पर गिर कर
क्यों खाद में तब्दील हो जाते हैं
पलाश के फूल
क्यों छोड़ जाती हैं
अमावस के पदचिन्ह
चांदनी रातें उनकी खिड़कियों पर
सुरा और सुन्दरी के बीच रहकर भी
क्यों बूढे हो जाते हैं वे
उन्हें ऐतराज़ है !
उन्हें ऐतराज़ है
आख़िर घूमती क्यों है पृथ्वी !