भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन / न्गुएन चाय / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:12, 15 जून 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सड़क का पत्थर चलने से घिस जाए,
वो बांस का वन ख़ूब फूल खिलाए,
जब पहाड़ पे गूँजें बन्दरों की खी-खी
हमारी खिड़की पे सूरज खिल जाए ।

गहरी छाया ले जब बादल घिर आएँ,
झील का नीला जल तब दिल बहलाए,
श्वेत बगुले और सारस उड़ें ताल पर,
उनके साथ उड़ूँ मैं भी, वे मुझे बेहद भाएँ ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय