Last modified on 27 जून 2020, at 06:10

और फुर्सत में धोया / कविता भट्ट

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:10, 27 जून 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
और फुर्सत में धोया
गर्म पानी में डुबोकर
थपकी से कूट-कूट कर
सूती कपड़े की तरह
रगड़-रगड़कर
बड़े इत्मिनान से
और फुर्सत में धोया
रंगीन-चमकीले सपनों को
तूने ओ जिन्दगी!
रंग फीके पड़ गए
हैरानी यह है कि
इन्हें न सहेज सकने का
इल्जाम भी मेरे ही सिर आया।