Last modified on 3 अक्टूबर 2008, at 09:05

फ़िलहाल -2/ प्रफुल्ल कुमार परवेज़

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 09:05, 3 अक्टूबर 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


आँख से रिसता आँसू नहीं है
दिल से उमड़ता दर्द नहीं है
रिश्तों से जुड़ा दु:ख नहीं है
केवल बेवक़्त मुसीबत है
कपूरे के लिए
बहन की अचानक मौत

अभी -अभी ही तो था
सोच में कपूरा
कैसे लड़ा जाएगा भूख से
पहले ही इस बार
खिंच नहीं पाई है
पहले पखवारे तक भी
महीने की पगार

गिड़गिड़ाता है कपूरा
माँगता है एडवांस
किताब खोलता है अफ़सर
करता है इन्कार
नहीं है कोई नियम
नहीं है कोई प्रावधान
नितांत निजी मामला है
बहन का दाह संस्कार
फ़िलहाल
सोचता है कपूरा
काश काटता साँप
पहली के बाद
मरती बहन
पहली के आसपास.